Chandogra Shoolpani Shiva उग्र चंडोग्रा शूलपाणि साधना

उग्र प्रचंड शिव साधना Chandogra Shoolpani Shiva
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चडोग्र शूलपाणि देव आदिदेव महादेव के रहस्य अत्यधिक रहस्यमय हैं, महादेव के बहुत से स्वरूप हैं कपालिक ,अघोरी,योगी,मृत्युंजय और संहारक आदि
महादेव से ही तन्त्र नामक शब्द का उदय हुआ है । तन्त्र की उतपत्ति पद्धति महादेव से ही प्रकट हुई हैं ,
ऐसे ही महादेव के एक स्वरूप का नाम है।
चण्डोग्र_शूलपाणि शिव का निराकार स्वरूप परम #शिवा है औऱ सदाशिव भी ज्वलित अग्नि स्वरूप है निराकार की भांति परन्तु अन्य कुछ स्वरूपों में उनके साकार स्वरूपों का वर्णन है।
चण्डोग्र शूलपाणि भगवान का रूप अद्भुत है त्रिशूल कपाल पाश और अंकुश धारण किये हुए ।
सुरापान करते हुए सदैव भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके जीवन मे सुख समृद्धि का उदय करते हैं ।
शुल -
का तात्विक अर्थ है कि वह साधक की सभी परेशानियों तथा कठिनाइयों ,रोगों एवं शत्रुओं को वेध कर विजय प्राप्त करता हुआ धर्म की ओर अग्रसर हो साधक निरोग, शत्रुहीन परेशानियों से मुक्त हो कर जीवन में सफलता प्राप्त करे ।

नर_कपाल
-अर्थ है कि मस्तिष्क एवं उसमें व्याप्त दिव्य चेतना एवं प्रज्ञा। आज्ञा चक्र तथा सहस्रार भी यही हैं ।
ऐसे व्यक्ति की कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो कर आज्ञा चक्र की और निरंतर अग्रसर होती रहती है ।
वह पुर्णतया चैतन्य अवस्था प्राप्त कर के प्रज्ञावान होता है। विद्यान व ज्ञान युक्त होने लगता है ।प्रतिद्वंदी हकलाने लगता है। विद्ववान नतमस्तक रहते हैं । भूत भविष्य सामने नृत्य करता है । वाक सिद्धि प्राप्त होने लगती है, वह जो कहते है आगे होता है। पाश यम पाश से मुक्त होता है अकाल मृत्यु नहीं होती परब्रम्हा शिवा में लीन होता है।
अकुंश -
का अर्थ है इन्द्रियों पर नियन्त्रण आता है, इसका अर्थ दमन नहीं है, वह स्वामी बन कर उपभोग करता है, दास बनकर नहीं। पहले सौम्य साधनायें कर के पात्र तैयार किया जाता है फिर उग्र साधनाओं द्वारा उसमें तीव्र शक्ति उडेल दी जाती है, जिससे साधक का व्यक्तित्व ही बदल जाता है,उसके आसपास अदृश्य शक्तियों का वर्तुल धूमता रहता है,जो भी उसके सम्पर्क में आता है आकर्षण पाश में बंध जाता है। शत्रु आत्म सम्पर्ण की मुद्रा में आ जाते हैं।
#प्रचंड_शिव_साधना 
उग्र साधनाओं मे चडोग्र शूलपाणी साधना #पारस_मणि के समान है ,जो इसे प्राप्त कर लेता है वह सहज ही धर्म ,अर्थ,काम व मोक्ष का अधिकारी हो जाता है कर इन्द्र देव द्वारा आदरणीय हो जाता है।
प्रत्येक मनुष्य में दो तरह के विचार होते हैं। कुविचार व सदविचारों को प्रताडित करते रहते हैं शुलपाणि मानव के सभी दानवीय प्रवृतियों का विध्वंस कर के देवत्व की स्थापना करते हैं।
जिसे से साधक अद्वितीय पुरूष बन सके। चडोग्र शुलपाणि उग्र होते हुऐ भी अत्याधिक मनोहर छवि के हैं। विशुद्घ स्फटिक के समान उज्जवल वर्ण ,सिर पर 👑 मुकुट, चार भुजायें दाहिने हाथ में शुल एंव नरकपाल बायें में पाश और अकुंश ,सुरापान में आनंदित। यह साधना से #शिव_धर्म, अर्थ काम, #मोक्ष का अधिकारी होता ही है।
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SHIV PRACHAND ROOP CHANDROG SHOOLPANI चण्डोग्र शूलपाणि प्रचंड साधना
Prachanda Shiva Sadhana Chandogra Shiva

Chadogra Shulpani is the fierce form of Lord Shiva.

Chadogra Shoolpani Sadhana Method
Day Sunday – Start the Sadhana from any Sunday in the night only after taking mental permission from the Guru. In the night, do river bank, mountain, or in a lonely room. Worship after taking bath, wearing clean clothes
mantra –
, Om Hree Guruve Namah.
Mantra proven in a clean plate on a budget

climbing device

Install Install the ring near the left side. Meditation Mantra –

After worshiping Yantra and Mudrika with flowers vermilion, incense and lamp Naivedh, do the following written Nyas and Anganyas.

After this chant Chadogra 5 rounds of Guru Mantra and chant 50 rounds of Chadogra mantra. This small mantra contains the energy of the entire universe. If the seeker has a feeling of high fever or body breakdown, then do not be afraid, after doing the practice, he feels immense power inside himself, after the practice, let the Yantra, Mudrika Mala flow in the river. This fierce practice is intense, which can be imbibed by the courageous, the fearless who can digest the immense power. Dskshina (Devote) ₹ 2100


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